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बेटी कोई बोझ नहीं होती

 बेटी कोई बोझ नहीं होती?


एक गाँव में एक सज्जन व्यक्ति का निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी हो रही थी, और लोग उनकी अर्थी को श्मशान ले जाने के लिए तैयार किया था। तभी, एक अनजान व्यक्ति भीड़ से आगे बढ़कर अर्थी के पास आया, और एक कोना पकड़ लिया, और बोला, "मुझे मृतक से 15 लाख रुपये लेने हैं। पहले मेरी रकम चुकाई जाए, फिर मैं इस यात्रा को जाने दूंगा।"

मुझे मृतक से 15 लाख रुपये लेने हैं

गाँव के लोग सोच में पड़ गए, और मृतक के परिवार वाले भी सोच में थे। बेटों ने कहा, "हमें तो पिता ने कभी इस कर्ज का जिक्र नहीं किया, हम इसे नहीं मान सकते।" भाइयों ने भी अपनी असहमति जताई, "जब बेटों की जिम्मेदारी नहीं तो हम क्यों दें?"

बेटी कोई बोझ नहीं होती

मेरे पिता की आत्मा की शांति के लिए यह रकम रख लो 

समय बीतने लगा और माहौल भी बिगड़ने लगा। यह बात घर की महिलाओं तक भी पहुंची। मृतक की एकलौती बेटी ने यह सुना, तो उसने बिना कोई देर किए अपनी सारी जमा पूंजी, जो कुछ गहने और थोड़ी नकदी थी, इकट्ठा की और उस व्यक्ति के पास भेज दी। उसने कहा, "मेरे पिता की आत्मा की शांति के लिए यह रकम रख लो और उनकी अंतिम यात्रा को बाधित मत करो। मैं बची हुई रकम आपको जल्दी ही चुकाने की कोशिश करूंगी।"


यह सुनकर वह व्यक्ति कुछ क्षण के लिए चुप खड़ा रहा और फिर धीमी आवाज़ में बोला, "दरअसल, मेरा कोई कर्ज नहीं हैं। असल में, मृतक को मुझसे 15 लाख रुपये मिले थे, लेकिन मुझे यकीन नहीं था कि उनके पास कोई जिम्मेदार वारिस भी है। इसलिए मैंने यह सब किया। अब मुझे पता चल गया कि इनका असली वारिस उनकी बेटी है।"


फिर उस व्यक्ति ने सभी को संबोधित करते हुए कहा, "बेटी कोई बोझ नहीं होती, वह परिवार की असली ताकत होती है। वह अपने पिता की अंतिम यात्रा में भी सम्मान की रक्षा कर रही है। यह समाज को संदेश है कि बेटियाँ केवल प्यार और सम्मान की हकदार होती हैं।"


सार यह है: -बेटियाँ अनमोल होती हैं, वे इस दुनिया का आधार हैं।


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